मध्य प्रदेश की राजनीति सियासी जंग थमने का नाम नहीं ले रहा है सियासी ड्रामा मैं एक के बाद एक मध्य प्रदेश सरकार के 6 मंत्री एवं 16 विधायकों के इस्तीफे के बाद से सभी विधायक बेंगलुरु के एक रिसॉर्ट में मौजूद है वहीं स्पीकर द्वारा छह मंत्रियों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए गए हैं तथा शेष 16 बागी विधायकों के इस्तीफे अभी तक मंजूर नहीं किए गए मध्य प्रदेश में सियासी पारा लगातार बढ़ रहा है राज्यपाल लालजी टंडन द्वारा मुख्यमंत्री कमलनाथ को अपना बहुमत 16 तारीख के विधानसभा सत्र में साबित करने हेतु चिट्ठी में निर्देशित किया गया परंतु विधानसभा सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण के पश्चात कोरोना वायरस के बढ़ते जा रहे प्रभाव को देखते हुए विधानसभा सत्र को 26 तारीख तक के लिए स्थगित कर दिया गया क्या ड्रामा यहीं नहीं रुका इसके बाद भाजपा सरकार ने राजभवन के बाहर परेड मार्च किया इस सबके बीच जीतू पटवारी के द्वारा बेंगलुरु में जाकर कांग्रेस विधायक को छुड़ाने के प्रयास किया गया जिसके बीच उनके द्वारा पुलिस के साथ झड़प हो गई और पुलिस द्वारा उन्हें हिरासत में लिया जा कर कुछ देर बाद छोड़ दिया गया । मामले ने यही तुमने का नाम नहीं लिया बागी प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए मध्य प्रदेश सरकार एवं मुख्यमंत्री कमलनाथ पर विधायकों एवं मंत्रियों की अनदेखी का आरोप लगाए इस मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है । मामले ने अभी तक तुमने का नाम नहीं लिया है इसी बीच अब बाकी विधायकों को मनाने के लिए दिग्विजय सिंह बेंगलुरु गए हैं के द्वारा विधायकों से मिलने के प्रयास मे किए गए धरने प्रदर्शन पुलिस द्वारा उन्हें हिरासत में लिया गया कर्नाटक राज्य के कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार द्वारा पुलिस के कई आला अधिकारियों के साथ बैठक करके बागी विधायकों से मिलने हेतु प्रयास किया जा रहा है बागी देखो ने वीडियो जारी कर दिग्विजयसिंह से मिलने इंकार कर दिया है इसके पीछे उन्होंने दिग्विजयसिंह को मध्य प्रदेश छोड़ने का कारण बताया है इन सबके बाद दिग्विजय सिंह ने कर्नाटक हाईकोर्ट में बागी विधायकों से मिलने के लिए अपील की है उन्होंने कोर्ट की फैसला उनके पक्ष में नहीं आता है तो वे भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे सुप्रीम कोर्ट में अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा सरकार की पैरवी की जा रही है कोर्ट के द्वारा स्पीकर से इस्तीफे को लेकर प्रश्न किया गया ।साथ ही सरकार से सत्र के दौरान प्रदेश के बजट को पेश ना करने को लेकर भी प्रश्न किया गया सुप्रीम कोर्ट के फैसले के जा सकता है कि मध्यप्रदेश में वाले वक्त में राजनीति किस करवट बैठेगी आने वाला वक्त ही बताएगा कि मध्य प्रदेश में किसकी सरकार होगी सरकार क्या कमलनाथ ही चलाएंगे सरकार या फिर होगा शिव का राज
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